शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2009

योगी



         योगी भोगी और रोगी


          स्वस्थ रहने को जरूरी हे
उचित आहार और विहार शरीर को कष्ट पहुंचाना कठोर तप करना या करवाना उचित है?






                    इनको भी देखें क्या परिवारिक योगी यह नही हैं?
            परिवार के लिए तप करते करते यह योगी रोगी नही होगये ?
             हर जीव योगी होता हे




























































सभी को राम राम
रहो स्वस्थ
यही मेरा पैगाम
सभी को राम राम

सोमवार, 26 अक्तूबर 2009

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आज का सनातन खून के आंसू बहाता
                                                           है?

सृजन: पैगम्बर मुहम्मद कल्कि अवतार नहीं - स्वच्छता वाले सलीम मियां को जवाब

सृजन: पैगम्बर मुहम्मद कल्कि अवतार नहीं - स्वच्छता वाले सलीम मियां को जवाब

सनातन पुरुष परमात्मा का नियम जानिए |

सनातन धर्म में सनातन पुरुष परमात्मा ने चारो सनातन धर्मों के  एक से उसूल बनाये हैं \
                देखें                 सोचें                 विचारें|


समय से सूर्य उगता हे समय से डूबता हे










इसी प्रकार मनुष्य का जन्म होता है |क्या कोई बता सकता है कि यह जन्म से हिन्दू है ,मुसलमान,सिख या इसाई?







भगवान तो हर इंसान का जन्म शिशु के रूप में ही किया करते हेँ ,किस धर्म में जन्म दिया जावे यह भी वही निश्चित करते हैं |और उसी धर्म के संस्कारों से इंसान हिन्दू मुसलमान सिख या इसाई बनता है |फिर यह धर्म परिवर्तन क्यों?-------------------------क्या यह सनातन ईश्वर को धता साबित करना नही है ?

रविवार, 25 अक्तूबर 2009

ज्ञान


खुल गये दरवाजे
जिनके ज्ञानके
पड़ता हे चलना खुद को सम्भाल के
ज्ञान का अहंकार डूबा देता हे
ज्ञान तो भवसागर से तार देता हे
ज्ञान का ज्ञानी नही कोई जहाँ में
पीट पीट ढीन्डोरा ज्ञान का  लगे
लगे अपनी दूकान चलाने
अविनाशी भगवान से बडा कोई ज्ञानी नही
जो करे सांझा ज्ञान को
उससे बडा कोई दानी नही
उपदेशक हर घर में जन्म लेते हैं
उनको बाहर तलाशने की जरूरत नही
जरूरत हे खुद ही खुद को तलाशने की
जिस ने खुद को तलाश लिया
मानो खुदा उस ने पा लिया
आचे बुरे का ज्ञान
तुरंत हो जाता हे
यही वो ज्ञान हे
जो भव सागर पार करवाता हे
रामराम
मुस्लिम धर्म में भी काजी खातून
शायद यह पहली काजी खातून हें

ना हिन्दू ना सिख मुसलमान और इसाई
नही हे कोई अपने धर्म में मेरे भाई
सनातन धर्म में हर सनातन को
दे नियम एक से सनातन बनाया
नियम तोड़ दिए सभी ने
स्वार्थ के नियम बना लिए
शामिल कर लेते किसी को भी अपने धर्म में
बिना यह सोचे विचारे
खुदा ने उसे स्थापित किया था और कहीं
फिर हमे उसकी क्या जरूरत पडी ?


शनिवार, 24 अक्तूबर 2009

आओ मेरे दोस्तों


बहने भी इबादत की तयारी में
कलयुग में हर धर्म की महिलाएं
धार्मिक कार्यों में सबसे आगे हें
सेवा भावना इतनी की घर को सवारें
या
न सवारें शोहर की बात माने
या
ना माने पति को बिना नाश्ता दिए भी
धर्म स्थान जाने को तयार रह तीं हैं
क्या शोहर की इबादत से बडी कोई इबादत ओरत के लिए हे ?
हिन्दू सनातन धर्म पति को परमेश्वर बताता हे

शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2009

ईश्वर की पहिचान?

ईश्वर की पहिचान ?
कोई कहे राम-राम





कोई कहे खुदाए |   
                             खोजो कमजोरियां अपनी
                              बहाने ढूंडने वालो
                            बिना मतलब के झगडों ने
                            मुहबत की महक हे लुटी
                            पथर को पूजो गे
                            तभी तो बने गी मूर्ति
                             बिना तप के पथर
                            पथर ही रह जाता हे
                            जेसा स्वरूप निकलवाता खुदा
                             पथर तराशने वाले के दिमाग से
                              यही कारण हे बडा
पथर को मूर्ति बनाने में
बिना मूर्ति जो करते पूजा
उनके जेहन में जो स्वरूप होता हे
उनका वही खुदा होता हे
वही मूर्त होती उस खुदा की
उस के लिए
भीन-भिन स्वरूप होते इस के
इस लिए मूर्ति खुदा की एक नही होती
ऐसा इसी लिए कहा जाता हे
मका -मदीना में करते तुम इबादत
जिस पथर को आगे रख के
क्या कहता हुई उस हिन्दू से
जिसे उसमे अपना शंकर नजर आता हे
बहारों की उमीद नही
विराना ढून् ड़नेवालों से
हकीकत क्यों नही समझते
तुम फसाना ढून ड़ने वालो
खुदा नही होता किसी एक का
सुन लो ऐ जमाने वालो
ज्ञान की नही कमी तुम में
ज्ञान को ताला मत लगावो
काफिर कहलाने वालो
बदलते वक्त पर बरसतीं लाठियाँ खुदा की
तुने भी तो देखीं हें अफगान में
हे मूर्तियों का अपमान करने वालो
ईश्वर की पहिचान हे यही
सच का सामना करलो
सत्य ही ईश्वर हे
ऐसा किताबों में लिखा हे
केसी होगी मूर्ति सचकी
समझ में तभी आया
सच को जब झेलना सिख पाया |






दरगाह
                               अजमेर  

बुधवार, 21 अक्तूबर 2009

सिख पन्थ

अकाल पुरुष परम पिता परमात्मा की आज्ञा से आजसे कुछ १०० वर्ष पहले सनातन धर्म के रूप में सीखने वालों की जमात के लिए सीख धर्म की स्थापना हुई थी                                                                                    अकाल पुरख की आज्ञा हुई की ग्रन्थ साहिब को हर सीखने वाला व्यक्ति आगे से अपना गुरु माने | इसी  पवित्र गुरु ग्रन्थ साहिब जी को गुरु देव का शरीर माना जावे | इन्ही की आज्ञा अनुसार शिष्य कर्म और व्यवहार करे |तिलक बोदी किसी भी प्रकार का भेस जो खुद को समाज से अलग विशेष दर्जा दिलाता हो धारण ना किया जावे |इस पन्थ में गुरु गोबिंद सिह साहिब ने ब्राह्मिण(ब्रह्म के ज्ञानी )कमजोर नर-नारी मासूम बचों गऊ    की रक्षा हेतु (जो उन दिनों मुस्लिम बादशाहों के जुल्मों के शिकार होरहे थे ) सिंह के स्वरूप में खालिस (शुद्ध) खालसा का पन्थ साजा| उन पांच प्यारों की रचना अमृत पान करवा कर खालसा पन्थ को बनाया आगे से ग्रन्थ साहिब को गुरु मानने की आज्ञा भी दी यह भी कहा कि भविष्य में इस गुरु ग्रन्थ साहिब को पार्ट्स में ना बांटा जाए |
                 ऐसा मुझे मेरे सिंह मित्रों ने बताया था
                      कुछ १०० वर्षों बाद आज इन बातों का स्वरूप जेसा में देखता हू दुख देता हे



                          गुरु साहिब के द्वारा अमृत पान करा आज भी हम सजाते हें पांच प्यारे

गुरु साहिब का स्वरूप जेब में लेकर घूम ते लोगों को देखा



गुरु ग्रन्थ साहिब को कहीं ले कर जाने की प्रथा तो यह हे फिर जेब में क्यों में नही समझा

यह
 यह हे एक देह

क्या


 क्या इसे देह माना जा सकता हे ?