गीता से ज्योतिषीय उपचार
गीता की टीका फेस बुक पर गीता शर्मा द्वारा बनाये गये पृष्ठ सनातन धर्म पर अधिकतर ज्योतिषीय आधार पर आधारित अंदाज में देखने को मिली |मिलने पर कई लोगों ने गीता शर्मा
जी के सुर में सुर मिलाते हुए अपने अपने स्तर पर अपने खुद के द्वारा किये गये प्रयोगों को बहुत सफल भी बताया प्रीतम सिंह जी का कहना है कि दुख के समय वह राधा- स्वामी के डेरे ब्यास में गये , उनको नाम - दीक्षा भी दी गयी परन्तु समस्या का कोई हल नही निकला |तब मेरे ढाबे पर गीता शर्मा जी पधारीं और ढाबे पर लगी राधा - स्वामी डेरे वालों कि फोटो जिसे मेने अपने दस गुरुओं के बीच स्थापित कर रखा था कि और इशारा कर के पूछा यह गुरु जी क्या इन दस गुरुओं से ज्यादा करनी वाले हैं ?मेने कहा जी सुना तो ऐसा ही है ,तो गीता जी ने कहा अगर तुम पर कोई विपति आये तो क्या पलक झपकते यह तुम्हें बचाने को ब्यास से यहाँ नही पहुंच सकते परन्तु यह दसो गुरु रक्षा को आते हैं | हमारी गीता में तो भगवान श्री कृष्ण ने ऐसे क्या इससे भी बड़े बड़े महा योधा गुरुओं को अर्जुन के हाथों मरवा डाला था क्यों कि इन का गुरु कहलाना उनको पसंद नही था |इसी बात को जान के गुरु जी ने ग्रन्थ साहिब को गुरू मानने की आज्ञा दी और समझाया की आपे -गुरू आपे चेला जो भगवान को पसंद नही क्या यह दसों गुरू उसे पसंद करें गे ?गीता जी का एक एकप्रश्न मेरे दिमाग की बंद बती को जला रहा था , मन कह रहा था की यह साधारण सी दिखने वाली महिला कोई असाधारण महिला नही हो सकती अरे यह तो वही बातें कह रही है जो में आज नही वर्षों से जानता हूँ पर कभी मैने उन पर अम्ल नही किया मेरी समस्या का हल भी यह बता सकती हो तो अछा हो |हिमत कर विन्रम भाव से मेने उन से पुछ ही लिया |माता जी तीन बेटियों की चिंता सताती रही कारोबार भी नही बेटियां पड़ा - लिखा दीं अब योग्य वर नही मिलता इसी से नाम - दान ले लिया पहले घर का खर्चा निकल आता था अब सत्संगी भाइयों पर हो जाता है कोई चाये -नाश्ता कर रहा है तो कोई राधा -स्वामी कह कर खाना कहा जाता है में भी बड़े चाव से उन की सेवा में लग जाता हूँ पर मेरी समस्या जेसी थी वेसी ही रही आप ही कहिये मे क्या करू -क्या नाकरु|
तब गीता जी ने कहा एक महीना गुरुद्वारे माथा टेकने को जाओ धुप दीप जला के गुरु ग्रन्थ साहिब की वाणी का श्रवण करो साथ साथ एक महीना सूरज को जल में चुटकी चावल इतनी ही चीनी दाल कर रोजाना चडाना शुरू करदो जब महीना हो जाए तब ग्रन्थ साहिब पर रूमाला और ग्रन्थि जी को वस्त्र भेंट कर देना कुछ दक्षिणा देकर माथा टेक कर अरदास कर देना अपने आप तेरी रक्षा वाहे गुरु जी ही करन गे |
गीता जी भोजन कर के जब पेसे देने को मेरे काउन्टर पर आयीं तो मेने पेसे लेने से इनकार किया और पांच सो का नोट उन को देना चाहा तो उन हों ने कहा देखो पेसे तो मेने देने है |पर किसी से उस ज्ञान का जो मुझे उस परमात्मा ने बख्शा हे उसका कोई मूल्य लेने का मुझे कोई हक नही |क्या सूर्य आप से अपने प्रकाश की कोई कीमत माँगता है ?में निरुतर था वह चली गयीं ,दुबारा पधारें गी ऐसा वादा करके |
गीता जी के कहें अनुसार उपाए को करते अभी मुझे बारह दिन ही हुए थे कि मर्री बेटियाँ ढाबे पर सब्जी लेने आ गयीं उस समय ढाबे पर कोई परिवार बेठा हुआ था बेटियाँ चलीं गयीं तो इस परिवार कि एक महिला ने मुझसे जानना चाहा कि यह ल्त्कियां जो अबी आयीं थी उन में नीले सूट वाली कोन से परिवार कि है | मेने कहा कि मेरी बेटियाँ हैं फिर क्या था मेरी तकदीर मेरी bchiyon के साथ ही बदल गयी |मेरी ओकात से कही ज्यादा बड़े सम्पन पड़े लिखे खनदान में बड़ी बेटी बिना दहेज के ही ब्याही गयी छं भर में वह फेक्टरियों कि मालकिन बन गयी मुझे मानो यकीन ही नही कि इतने अछे लोगों से मेरा नाता जुड़ सकता था | मेरे मन घर मोटल पर अब द्स्गुरुओं कि फोटो के अलावा किसी गुरु कि फोटो सिवाए मेग्जिन अखबार और रदी में ही पा सकते है |
यह है एक गीता से हुआ ज्योतिषीय उपचार आप कि क्या राये है ?