- राम के वियोग में महाराज दशरथ[ अयोध्या के राजा दशरथ रघुवंश के थे।श्री राम प्रभु के पिता होने का गोरव सूर्यवंशी महाराज दसरथ जी को प्राप्त हुआ है!दसरथ जी ने अपने चरित्र मे आदर्श महाराजा ,पुत्रोको प्रेम करने वाला पिता,और अपने वचनों की प्रति पूर्ण समर्पित थे!और अनुचित होते ही भी अपने वचनों पालन किया ! जिससे यह सिख मिलती हे की बिना सोचे किसी भी प्रकार का वचन नही देना चाहीऐ यह सर्वथा अनुचित है !] ने प्राण त्याग दिये।प्राण से तात्पर्य है वह जीवनी शक्ति, जिसके कारण किसी जन्तु अथवा वनस्पति को जीवित कहा जा सकता है। जो साँस लेता हो, जिसमें आन्तरिक वृद्धि होती हो, चयापचय क्रिया होती हो, जो प्रजनन द्वारा अपनी संतति को बढ़ा सके उसे प्राणवान माना जाता है और प्राणी कहा जाता है। प्राण शक्ति का नाश होने से जीव मृत हो जाता है।
सोमवार, 23 अगस्त 2010
प्राण
प्राण शरीर के भीतर की जीवनाधार वायु, श्वास।
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