शनिवार, 9 जनवरी 2010

पहले शाही स्नान में नहीं शामिल होंगे वैरागी अखाड़े

महाकुंभ के पहले शाही स्नान पर वैरागी अखाड़े शामिल नहीं होंगे। सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए वैरागियों की पूरी फौज इस दौरान वृंदावन में डेरा डालेगी। पहला स्नान वैरागियों का वृंदावन में ही होगा। वहां पर बसंत पंचमी के दिन ध्वजारोहण और 28 फरवरी को समापन होगा। इसके बाद वैरागियों की तीनों अणियां और अठारह अखाड़ों का लाव-लश्कर कुंभ स्नान के लिए तीर्थनगरी हरिद्वार के लिए रवाना होगा। मान्यता है कि वैरागियों में चार प्रमुख अणियां हुआ करती थीं। इनमें एक द्विविद के नाम से अणि थी। द्विविद को अपनी शक्तिका घमंड हो गया और वह अत्याचारी हो गया। इससे क्रोधित होकर भगवान बलराम ने वृंदावन में हल से उसका वध कर दिया। इस तरह से द्विविद के अत्याचार से सभी को मुक्तिमिली और अणियों का चतुष्कोण टूटकर तीन अणियों में तब्दील हो गया। उसी समय यह तय हुआ था कि हरिद्वार और प्रयाग में जब-जब कुंभ का आयोजन होगा, उसी बीच में वृंदावन में वैरागियों का भी कुंभ होगा। हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन चौदह जनवरी के स्नान पर्व से शुरू हो रहा है। इसी बीच वृंदावन में वैरागियों के कुंभ की शुरुआत हो रही है। वैरागियों का वृंदावन में बसंत पंचमी यानि 20 जनवरी को ध्वजारोहण होगा। फिर वैरागियों की देश भर की सारी जमातें यहीं अखाड़ा जोड़ेंगी। 28 फरवरी तक वैरागी अखाड़े वृंदावन में ही रहेंगे। ऐसे में तीर्थनगरी में होने वाले पहले शाही स्नान यानि 12 फरवरी को वैरागी अखाड़े स्नान में शामिल नहीं हो सकेंगे। वृंदावन के कुंभ के समापन के तुरंत बाद देश के वैरागियों का लाव-लश्कर तीर्थनगरी की ओर रवाना होगा। वैरागी कैंप सहित अन्य जगहों पर देश से जुटे साधु-संतों का तंबुओं में डेरा होगा। जब वृंदावन से रवानगी होगी तो महत्वपूर्ण तीन अणियों और अठारह अखाड़े के साधु-संत भी तीर्थनगरी पहुंचेंगे। माना जाता है कि वैरागियों के आगमन के साथ ही महाकुंभ चरम पर पहुंच जाता है। अचानक वैरागी कैंप का कई किलोमीटर क्षेत्र साधु-संतों के क्रियाकलापों में डूब जाएगा।

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