गुरुवार, 23 सितंबर 2010

श्राद्ध कब और कौन करे :


श्रद्धावंत होकर अधोगति से मुक्ति प्राप्ति हेतु किया गया धार्मिक कृत्य- 'श्राद्ध' कहलाता है। भारतीय ऋषियों ने दिव्यानुसंधान करके उस अति अविशिष्ट काल खंड को भी खोज निकाला है जो इस कर्म हेतु विशिष्ट फलदायक है। इसे श्राद्ध पर्व कहते हैं।

यह पक्ष आश्विन कृष्ण पक्ष अर्थात्‌ प्रतिपदा से अमावस्या तक का 15 दिवसीय पक्ष है। इस पक्ष में पूर्णिमा को जोड़ लेने से यह 16 दिवसीय महालय श्राद्ध पक्ष कहलाता है।


इस श्राद्ध पक्ष में हमारे परिवार के दिवंगत व्यक्तियों की अधोगति से मुक्ति प्राप्ति हेतु धार्मिक कृत्य किए जाते हैं। जो भी व्यक्ति जिस तिथि को भी किसी भी माह में मृत्यु को प्राप्त हुआ, इस पक्ष में उसी तिथि को मृतक की आत्मा की शांति हेतु धार्मिक कर्म किए जाते हैं।

इस प्रकरण में भारतीय चाँद्र वर्ष अर्थात्‌ वर्तमान प्रचलित संवत्सर पद्धति की तिथि ली जाती है। आंग्ल सौर वर्ष आधारित दिनांक (घची) से इसकी गणना नहीं की जाती है।

श्राद्ध कब और कौन करे :
- माता-पिता की मरणतिथि के मध्याह्न काल में पुत्र को श्राद्ध करना चाहिए।

- जिस स्त्री के कोई पुत्र न हो, वह स्वयं ही अपने पति का श्राद्ध कर सकती है। 

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