सोमवार, 17 अगस्त 2009

काला धन

काला धन जिस घर के अंदर अपने पैर परोसेगा
खून में शुगर बड़ जायेगी , दिल का दोरा मारेगा
डॉक्टरों के चकर अपनी फीसें बडाते जाएँ गे
पहले दोर में ,अफसर अपने दफ्तर में कम आएं गे
काला धन चमगादड़ बन रात में उड़ने लगता हे
बदतह्जीबी की हर आदत से वो जुड़ने लगता हे
बेजा -खर्चा ,नई जवानी बाप से जिस दिन मांगे गी
रब जाने ,तहजीब के रास्ते ,कहाँ तलक को लांघेगी
बचे रात ढले डिस्को से वापस घर जब आयें गे
परेशान साहिब घर के बुढों पर चिलाएंगे
परेशानियाँ नई बिमारियों के दरवाजे खोलेगी
क्लब से lot के मेमसाहिबा -साहिब से कम बोलेंगी
लानत ऐसे काले धन पे जो बदनामी दे जाए
"अंजुम" बडा साहिब तब यह सोचे -अब रब दुनिया से मुझे लेजाए

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें