गुरुवार, 13 अगस्त 2009

माया


त्रि गुणात्मक माया आप की
प्रभु जी अनेकों विभाग इसके
इन सब के बोस प्रभु आप
विकार रहित
विकार सहित
विभाग करते काम अपना-अपना
अंत में करवाते आप से मुलाकात
हर विभाग से
गुजर पाना
नही आसन काम
विभाग हें
यंत्र मन्त्र तन्त्र के
आसन -क्रिया ,कर्म -कांड के
ज्ञान यज्ञ पुन्य दान के
समाधि योग ध्यानादि के
सतो गुणी ,रजो गुणी और तमो गुणी
ग्रह--नक्षत्र इत्यादि
कोई पता नही
साधक कहाँ अटक जाए
कोई पता नही
सिद्ध होने में
कितने जन्म
व्यर्थ जावें
इतना ही नही
ऐसे कईयों विभागों से
क्लीयरेंस लेनी पड़ जावे
इन विभागों में
इनके स्वामी
कम कोई नही
सब एक से बड़ कर एक हें
बडे कठोर चित चोर
परिवर्तन शील और बडे ठग
जब तक इन की कसोटी पर
खरा न उतर पाऊं गा
तब तक
प्रभु
आप से मिल केसे पाऊँ गा ?
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