शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

आप से मिलने की युक्ति

क्या यह चिंता
आपही का एक विभाग नही?
रोज -रोज सताये जाती हे
प्रभु आपने ही हे कहा
यह जीव आप का ही अंश हे
आप बोस जगत के
बाकी कर्मचारी
में अंश आपका
यदि जगत का कहलवाऊ गा
तो कर्मचारियों के हथे
चड़ जाऊँ गा
झूठा जगत
इस का पुरा विभाग झूठा
सचा तो बोस हे
सचा अंश उस का
जिसे कर्मचारी रोक नही पाते
अंश आपका
जब चाहे
मिले आप को
यही तो सिधांत हे
विभाग सहित मिलना
नही आसन
विभाग रहित
डायरेक्ट जा मिलना
हे सची पहिचान
जो अंश सीधे
आप को पूजने आते हें
सभी विभाग आपके
उसे निहारते रह जाते हें
कोई देखता ताजुब से
कोई होता परेशान
हक केवल आपके अंश का
जब चाहे मिले आन
जो विभागों की अनुमती चाहते हें
वह विभागों के चक्र में पड़ जाते हें

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