नदी
दो किनारों में बहना नदी का धर्म हुआ किनारा छुटा तो अधर्म हुआ
सागर भी बंधा दो किनारों में
अपना धर्म निभाता है
छोड़ दे जब किनारा
प्रलय तभी लाता है
इसी तरहा धर्म चारों
धर्म सनातन इनका
एक किनारा भवसागर
दूजा परमात्मा
जो तोड़ दे इस किनारे को
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