सनातन धर्म में यंत्र मन्त्र और तन्त्र का भी विधान हे |परन्तु उन को कर ने के लिए आसन भोजन दिशा और महूर्त का बंधन भी है |जो स्वयम बंधन में हो वह दुसरे को केसे मुक्त कर सकता है?
शबरी के घर राम खुद आये थे उस ने कोई मन्त्र यंत्र या तन्त्र की कोई साधना नही की थी यही सनातन सत्य है |
मन्त्र साधना में ध्यान की एकाग्रता अति आवश्यक होती है जिस का मन एकाग्र हो गया भला उसको और साधन अपनाने की क्या आवश्यकता है?
क्या यह मात्र ठगी नही?
जो रही करती साफ़ रास्ते भर उसी के राम आगये |क्या इस से भला और ही कोई उपाय है?
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