शुक्रवार, 27 नवंबर 2009

hnuman chalisa

।।दोहा।। श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधार



बरनौ रघुवर बिमल जसु , जो दायक फल चारि


बुद्धिहीन तनु जानि के , सुमिरौ पवन कुमार


बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार



जय हनुमान ज्ञान गुन सागर, जय कपीस तिंहु लोक उजागर


रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवन सुत नामा



महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी


कंचन बरन बिराज सुबेसा, कान्हन कुण्डल कुंचित केसा



हाथ ब्रज औ ध्वजा विराजे कान्धे मूंज जनेऊ साजे


शंकर सुवन केसरी नन्दन तेज प्रताप महा जग बन्दन



विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर


प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया रामलखन सीता मन बसिया



सूक्ष्म रूप धरि सियंहि दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा


भीम रूप धरि असुर संहारे रामचन्द्र के काज सवारे



लाये सजीवन लखन जियाये श्री रघुबीर हरषि उर लाये


रघुपति कीन्हि बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरत सम भाई



सहस बदन तुम्हरो जस गावें अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावें


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा



जम कुबेर दिगपाल कहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते


तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा



तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना लंकेश्वर भये सब जग जाना


जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानु



प्रभु मुद्रिका मेलि मुख मांहि जलधि लाँघ गये अचरज नाहिं


दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते



राम दुवारे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे


सब सुख लहे तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहें को डरना



आपन तेज सम्हारो आपे तीनों लोक हाँक ते काँपे


भूत पिशाच निकट नहीं आवें महाबीर जब नाम सुनावें



नासे रोग हरे सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा


संकट ते हनुमान छुड़ावें मन क्रम बचन ध्यान जो लावें



सब पर राम तपस्वी राजा तिनके काज सकल तुम साजा


और मनोरथ जो कोई लावे सोई अमित जीवन फल पावे



चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा


राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा



तुम्हरे भजन राम को पावें जनम जनम के दुख बिसरावें


अन्त काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई



और देवता चित्त न धरई हनुमत सेई सर्व सुख करई


संकट कटे मिटे सब पीरा जपत निरन्तर हनुमत बलबीरा



जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो गुरुदेव की नाईं


जो सत बार पाठ कर कोई छूटई बन्दि महासुख होई



जो यह पाठ पढे हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा


तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मँह डेरा



।।दोहा।। पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप


राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप







हनुमान चालीसा के पाठ आनलाइन...14:09 ...श्री दुर्ग्याणा मंदिर के वेद कथा भवन में आज होने जा रहे श्री हनुमान चालीसा के पाठ का नजारा मंदिर की बेबसाइट दुर्ग्याणामंदिर डॉट कॉम पर विश्व में कहीं भी देखा जा सकेगा। 1100 परिवार एक साथ दो घंटे तक श्री हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे।...पाठ के बेहतर प्रसारण के

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हनुमान चालीसा का राष्ट्रव्यापी पाठ

हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेश गोयल का कहना है कि... कार्यक्रम के प्रेरणास्रोत हैं, का ३५ मिनट की अवधि का व्याख्यान होगा, जिसमें हनुमान चालीसा और जीवन के... स्थानीय टीवी चैनलों पर देखकर महापाठ कर सकते हैं। श्री गोयल ने बताया कि कार्यक्रम एक घंटे का रहेगा।

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विश्वशांति के लिए हनुमान चालीसा का पाठ

मंच ने सवा करोड़ हनुमान चालीसा पाठ का आयोजन एक साथ एक ही समय पर देश के अलग अलग प्रांतों में किया। इस कार्यक्रम के तहत यह पाठ शुक्रवार को हल्दीबाड़ी के श्री सत्य नारायण गौशाला में पूरी भक्ति के साथ किया... पुरुषों ने इस शांति पाठ में हिस्सा लिया और एक साथ एक स्वर में हनुमान पाठ किया। इस दौरान श्री राम के

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हनुमान चालीसा / तुलसीदास

आपका पासवर्ड...इस कंप्यूटर पर मेरी लॉग-इन सूचना याद रखें।...हनुमान चालीसा...विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से...यहां जाईयें...श्री गुरू चरण सरोज रज निज मन मुकुरु सुधारि ...बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो... हनुमान चालीसा ...होय सिद्ध साखी गौरीसा ...तुलसीदास सदा हरि चेरा ...कीजै नाथ ह्रदय महं डेरा ...पवन तनय



श्री हनुमान जयंती

धर्म चैनल्स...श्री हनुमान जयंती...श्री हनुमानजी के जन्म की तिथि के संबंध में दो मत प्रचलित हैं... करना चाहिए अथवा हनुमान चालीसा का पाठ कर श्रीराम जानकी एवं हनुमान जी का भजन कीर्तन करना चाहिए। शाम... सहित हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। नैवे में घृतमिश्रित चूरमा अथवा घी

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हिन्दुत्व के तत्वFeatures of Hinduism हिन्दुत्व एकत्व का दर्शन है



हिन्दुत्व का लक्ष्य पुरुषार्थ है और मध्य मार्ग को सर्वोत्तम माना गया है



हिन्दुओं के पर्व और त्योहार खुशियों से जुड़े हैं



सबसे बड़ा मंत्र गायत्री मंत्र



आत्मा अजर-अमर है



हिन्दू दृष्टि समतावादी एवं समन्वयवादी



पर्यावरण की रक्षा को उच्च प्राथमिकता



हिन्दुत्व का वास हिन्दू के मन, संस्कार और परम्पराओं में



सती का अर्थ पति के प्रति सत्यनिष्ठा है



स्त्री आदरणीय है



प्राणि-सेवा ही परमात्मा की सेवा है



क्रिया की प्रतिक्रिया होती है



हिन्दुओं में कोई पैगम्बर नहीं है



हिन्दुत्व का लक्ष्य स्वर्ग-नरक से ऊपर



ईश्वर से डरें नहीं, प्रेम करें और प्रेरणा लें



ब्रह्म या परम तत्त्व सर्वव्यापी है



ईश्वर एक नाम अनेक

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