बुधवार, 25 नवंबर 2009

कलयुग में प्रभु प्रेम

             कलयुग के भगत और भगवान
यह घोर कलियुग ही है कि उज्जैन के एक मंदिर को गिरवी रख दिया गया है। मामला अवंतिपुरा गली नंबर 4 का है। यहाँ वामन भगवान मंदिर, वामनेश्वर महादेव मंदिर और बजरंगबली मंदिर बने हुए हैं। क्षेत्र के नागरिकों ने संभागायुक्त को शिकायत की है कि मंदिर के पुजारी ने मंदिर को गिरवी रखकर राज्य सहकारी आवास संघ से 80 हजार रु. कर्ज ले लिया। यह राशि अब ब्याज समेत बढ़कर 7 लाख 44 हजार 212 हो गई है।



जाँच में पता चला है कि मंदिर ग्वालियर गवर्नमेंट माफी डिपार्टमेंट से माफी प्राप्त मंदिर है। इस मंदिर में पुजारी शंकरदास पिता मनोहरदास थे। इनकी मृत्यु 1998 में हो गई। पुजारी शंकरदास ने 1970 में रजिस्टर्ड हिबानामा बख्शीश द्वारा अवंतिपुरा स्थित मकान व उससे लगी खुली भूमि पत्नी, पाँच पुत्र और एक पुत्री के नाम कर दी। इसके पश्चात 1993 में रजिस्टर्ड रिलीज डीड को पत्नी और पुत्र के अलावा पुत्रवधू के पक्ष में पॉवर रिलीज कर दिए गए।



इसकी शिकायत संभागायुक्त को की गई है जिसमें बताया गया कि फर्जीवाड़ा करते हुए मंदिर पर राज्य सहकारी आवास संघ से कर्ज ले लिया गया। प्रशासन के सामने दिक्कत यह है कि दस्तावेजों के अनुसार जमीन नगर निगम की है, किंतु मंदिर निजी। मामले की जाँच चल रही है। संभागायुक्त के निर्देश पर जाँच की गई तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।



प्रशासन द्वारा नियुक्त अधिकारी द्वारा की गई जाँच में प्रारंभिक तौर पर यह सामने आया था कि शंकरदास के एक पुत्र ने फर्जी तरीके से 1993 में मंदिर की प्रॉपर्टी को बंधक रखकर मप्र आवास संघ से 80 हजार रुपए कर्ज ले लिया। इसकी एक भी किस्त जमा नहीं की। कर्ज की राशि सूद समेत बढ़कर करीब साढ़े सा‍त लाख रुपए हो जाने के बाद आवास संघ द्वारा संपत्ति कुर्की की कार्रवाई शुरू की गई। जब इसकी भनक क्षेत्रवासियों को लगी तो उन्होंने संभागायुक्त से शिकायत कर दी।


          राम राम

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