बुधवार, 25 नवंबर 2009

नेपाल में सनातन धर्म या लकीर के फकीर

नेपाल में पशु बलि की दशकों पुरानी परंपरा को रोकने की चारों ओर से हो रही अपीलों के बावजूद मंगलवार से दक्षिणी नेपाल में गढ़ीमाई समारोह की शुरूआत हो गई है। समारोह में देश के विभिन्न भागों से आए लोगों के साथ-साथ भारत के भी लाखों श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। सूत्रों के अनुसार लोग मंगवार को शक्ति की देवी गढ़ीमाई की पूजा करने के लिए सुबह लगभग पौने तीन बजे से ही कतारों में लग गए थे। स्थानीय रेडियों के अनुसार कडी सुरक्षा के बीच देश के स्वास्थ्य मंत्री उमाकांत चौधरी लगभग दो बजे 260 वर्ष पुराने मंदिर में पहुंचे और पूजा में शामिल हुए।


अनुमान है कि मंदिर में होने वाले विश्व के सबसे बडे़ बलि समारोह में 35 से 40 हजार भैंसों की बलि दी जाएगी, जिनमें से ज्यादातर भारत से लाई गई हैं। फे्रंच अभिनेत्री व पशु अधिकार कार्यकर्ता ब्रिगिट बार्गोट ने राष्ट्रपति राम बरन यादव को पत्र लिखकर उनसे समारोह के दौरान पशु बलि रोकने की अपील की थी। उन्होंने लिखा था मुझे यह समझने में बहुत कठिनाई होती है कि आपका दिल ऎसी नृशंसता को कैसे सहन कर सकता है, देश का प्रमुख होने के नाते, आप इसके लिए पूरी तरह जिम्मेदार है।

भारत की जानी-मानी पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने भी प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल को पत्र लिखकर उनसे इसे रोकने की अपील की थी। इस बीच एनिमल वेलफेयर नेटवर्क नेपाल और एंटी-नेपाल सैक्रिफाइज एलायंस ने मुख्य पुजारी मंगल चौधरी और समारोह की आयोजन समिति के प्रमुख शिव चंद्र कुशवाह से सामुहिक बलि रोकने की अपील की है। संगठन द्वारा भेजे पत्र में लिखा गया कि हम आपसे हमारी अपील मानने की प्रार्थना करते हैं।
सनातन का नियम हे की जो किसी को जिन्दा करने की शक्ति रख ता हो वह मोट भी दे सकता हे |ऐसा करने का समर्थ केवल भगवान में ही है |

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