शनिवार, 10 अक्तूबर 2009

सनातन धर्म का असली स्वरूप


असली सनातन धर्म यही हो सकता है





मीठा शीतल जल वाला यह प्याऊ जहाँ आ कर हर कोई अपनी प्यास बुझा सकता है |
       मन्दिर-मस्जिद -गुरदवारे-चर्च में नही होते कभी धर्म चारों इक्ठे --यही वो स्थान है
जहाँ सब मिल कर ---प्यास बुझाते
जहां चारों धर्म एक साथ मिल-बेठें गे
हो कर मजबूर भगवान

खुद वहाँ पधारें गे

धर्म नही सिखाता
आपस में बैर करना
जो दें शिक्षा ऐसी
    उनको बाय-बाये
  ही कहना

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