गुरुवार, 15 अक्तूबर 2009

महलाओं में श्रधा

महिलाएं सबसे ज्यादा श्रधा - वान होने से सनातन धर्म के ग्रन्थों की ना सुन कर दुनियावी बातों को सुन कर पाप की अधिकारी हो जातीं हैं ?

विवाह
 विवाह के समय सनातन रीती अनुसार पति-पत्नी दोनों को शिक्षा दिजाती हे की पत्नी पति के शुभ कर्मों में आधे की अधिकारी होती है |
जिस को बिना कुछ किये पुन्य फल मिलता हो उसे तीर्थ जप तप पाठ पूजा करने की बात मेरी समझ से बाहर है 



  


सनातन धर्म महिला को कहता हे की पति ही परमेश्वर हे |
पति का बाकी का सारा परिवार उसके लिए अपने अपने ओहदे के अनुसार पूजनीय हैं परन्तु पति के लिंग के अतिरिक्त किसी दुसरे के लिंग की सेवा से मना किया गया है |चाहे वह शिव लिंग ही क्यों ना हो |आज यही महिलाएं शिव की मूर्ति को ना पूज कर शिव लिंग को ही छूति हैं ,पूज्तीं हैं और पाप की बदोतरी करतीं  हैं क्या ज्योतिषी ब्राहमिन और आज कल के गुरु लोग नही जानते कि नारी को शिव लिंग की सेवा से क्यों रोका गया है?
चित्रकूट के घाट पर लगी
                       मेरे जेसे फुदुओं की भीड़
तुलसीदास चन्दन घिसें
तिलक लगावें रघुबीर
आज तिलक हमारे माथे लगता
रघुवीर बेचारा क्या करता ?
खुद ही अवतार लेगा
फिर जाकर सनातन धर्म बचेगा
इसी प्रकार कहते हैं सनातनी
            होताहै पाप तोड़ना तुलसी की पत्ती
कोई तो बताओ क्या तोडी जा सकती है इस की टहनी?

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