विवाह
विवाह के समय सनातन रीती अनुसार पति-पत्नी दोनों को शिक्षा दिजाती हे की पत्नी पति के शुभ कर्मों में आधे की अधिकारी होती है |जिस को बिना कुछ किये पुन्य फल मिलता हो उसे तीर्थ जप तप पाठ पूजा करने की बात मेरी समझ से बाहर है
सनातन धर्म महिला को कहता हे की पति ही परमेश्वर हे |
पति का बाकी का सारा परिवार उसके लिए अपने अपने ओहदे के अनुसार पूजनीय हैं परन्तु पति के लिंग के अतिरिक्त किसी दुसरे के लिंग की सेवा से मना किया गया है |चाहे वह शिव लिंग ही क्यों ना हो |आज यही महिलाएं शिव की मूर्ति को ना पूज कर शिव लिंग को ही छूति हैं ,पूज्तीं हैं और पाप की बदोतरी करतीं हैं क्या ज्योतिषी ब्राहमिन और आज कल के गुरु लोग नही जानते कि नारी को शिव लिंग की सेवा से क्यों रोका गया है?
मेरे जेसे फुदुओं की भीड़
तुलसीदास चन्दन घिसें
तिलक लगावें रघुबीर
आज तिलक हमारे माथे लगता
रघुवीर बेचारा क्या करता ?
खुद ही अवतार लेगा
फिर जाकर सनातन धर्म बचेगा
होताहै पाप तोड़ना तुलसी की पत्ती
कोई तो बताओ क्या तोडी जा सकती है इस की टहनी?
टहनी और पत्ती के अंतर को पहले समझो फिर हम वता देंगें ।
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