शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

आर्य समाज एक डूबता जहाज 2

कृण्वन्तो विश्वमार्यम्

आर्य समाज एक डूबता जहाज

आर्य समाज यानि एक डूबता जहाज।पता है क्योँ?क्योँकि इसके खेवनहार दयानंद को अपना आदर्श मानने वाले आर्य राजनीति के गर्त में डूब गये हैँ।वेदपथ पर चलने की प्रेरणा देने वाले विद्वानोँ को केवल अपनी दक्षिणा की चिँता है।आर्य समाज भाड मेँ जाये या वेद चूल्हे मेँ बस दक्षिणा अच्छी मिलनी चाहिये।अरे धर्म का चोला पहनकर लूटने वालोँ बंद करो यह दोगलापन।करनी कथनी मेँ भेद है आचरण मेँ छेद है ठेँगे पर ईश्वर इनके कोसोँ दूर वेद है।प्रभु को न्यायकारी कहने वालो कुछ तो डरो उससे वो सब देखता है।तुम्हे कोई अधिकार नही है दूसरोँ को पाखंडी कहने का क्योँकि तुमसे बडा पाखंडी कोई नही है।असत के सागर से तराने वाली आर्य समाज रूपी नौका को डुबाने वाले अन्य कोई नही उसके अपने हैँ।अरे पथ प्रदर्शकोँ तुम्हेँ डूबना है तो डूबो पर इस पवित्र संस्था को तो मत डुबाओ।

यह् न तो

यह् न तो डूबता जहाज है, ना यह डूबता सितारा | समय की दौड़‌ के साथ‌ चलती इस‌ गाड़ी पर बहुत मुसाफिर बिना टिकिट सवार हो गये हैं , तो आवष्यक्ता है, टिकिट चैकर्स की | जितने भी विद्वान हैं, जितने भी श्रद्धावान हैं उनके आगे आने का समय आ गया है, आर्यसमाज के नये विस्तार के लिए आगे आने का | एक ऋषि से आरम्भ यह समाज एक नयी करवट ले सके,ऐसा हम सब का प्रयास होना चाहिए | आपका प्रयास भी इसी दिशा में एक सराहनीय कदम नहीं है क्या ?
आनन्द‌

i agree with the comments of

i agree with the comments of Mr Bakshi

I agree believer of arya

I agree believer of arya samaj has been reducing day by day. But Arya Samaj is so great in itself that Arya Samaj can stand alone without any help.

Why are you so despondent

Why are you so despondent ?
Or do you want to provoke others to do something to activate Arya Samaj ?
Let us know, what you propose to do to ensure that the ship does not sink. What are you interested in ?
I can understand your anger at the so-called leaders of Arya Samaj. You can simply stop treating them as your leaders. They will suffer the fate they deserve.
Like-minded people need to unite and working together, each one can contribute a lot, well without the so-called leaders.
Aditya

Namestey Aditya ji, I

Namestey Aditya ji,
I agree with you 100%.
Dhanyavad,
Anupam

नमस्ते

नमस्ते रविन्द्र जी,
आप के कवि ह्रिदय भावनाओ की मै बहुत कद्र करता हू. शायद मै शुद्ध् रूप से नही लिख पा रहा. लेकिन अपनी भावनाओ को आप तक पहुचाने मे सफल रहूगा एसा मै मानता हू.
सम्पादन का अधिकार वेब्साइट के स्वामी को है.
मुझे एसा लगा कि इस वेबसाइट को देखने वाले कम ही है. शायद आर्य समाज के हितचिन्तक तो कभी कभी देख ही लेते होगे.
आपकी चिन्ता अपनी जगह ठीक है. मेरा व्यक्तिगत विचार है कि केकडा प्रव्रिति भी आर्य समाज की बहुत हानि कर रही है. सङ्ठन सूक्त पढते है लेकिन विचार नही करते. चिन्तन मनन की कमी अखरती है. ईश्वर सब को सुबुद्धि दे एसी प्रार्थना है.
आदित्य‌

सम्पादन का

सम्पादन का अधिकार अब आप सब को भी है.
अनुपम

नमस्ते

नमस्ते जी,
यह बात तो समझ नही आई कि सम्पादन का अधिकार सब को कैसे मिल गया.
ऐसा होना भी नही चाहिये नही तो इस से हानि भी हो सकती है
आदित्य‌

People get the right when

People get the right when they prove that they have good intentions to contribute. If someone misuses it, then the user can be barred form contributing.

नमस्ते

नमस्ते रविन्द्र जी,
काफी लम्बा समय हो गया आपका कोई लेख पढने को नही मिला. क्या बात है बहुत व्यस्त हो गये है ?
स्वामी जगदीश्वरानन्द जी नही रहे. धीरे धीरे अछ्छे लोग कम हो रहे है. कुछ प्रेरणादायक लिखिये. पढ कर अच्छा लगेगा.
स्वागतम्

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