आर्य समाज एक डूबता जहाज
Submitted by RAVINDAR KUMAR ARYA on Sat, 2008-10-25 04:37.
आर्य समाज यानि एक डूबता जहाज।पता है क्योँ?क्योँकि इसके खेवनहार दयानंद को अपना आदर्श मानने वाले आर्य राजनीति के गर्त में डूब गये हैँ।वेदपथ पर चलने की प्रेरणा देने वाले विद्वानोँ को केवल अपनी दक्षिणा की चिँता है।आर्य समाज भाड मेँ जाये या वेद चूल्हे मेँ बस दक्षिणा अच्छी मिलनी चाहिये।अरे धर्म का चोला पहनकर लूटने वालोँ बंद करो यह दोगलापन।करनी कथनी मेँ भेद है आचरण मेँ छेद है ठेँगे पर ईश्वर इनके कोसोँ दूर वेद है।प्रभु को न्यायकारी कहने वालो कुछ तो डरो उससे वो सब देखता है।तुम्हे कोई अधिकार नही है दूसरोँ को पाखंडी कहने का क्योँकि तुमसे बडा पाखंडी कोई नही है।असत के सागर से तराने वाली आर्य समाज रूपी नौका को डुबाने वाले अन्य कोई नही उसके अपने हैँ।अरे पथ प्रदर्शकोँ तुम्हेँ डूबना है तो डूबो पर इस पवित्र
संस्था को तो मत डुबाओ।
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संस्था को तो मत डुबाओ।
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यह् न तो
Submitted by AnandBakshi on Wed, 2008-10-29 14:09.
यह् न तो डूबता जहाज है, ना यह डूबता सितारा | समय की दौड़ के साथ चलती इस गाड़ी पर बहुत मुसाफिर बिना टिकिट सवार हो गये हैं , तो आवष्यक्ता है, टिकिट चैकर्स की | जितने भी विद्वान हैं, जितने भी श्रद्धावान हैं उनके आगे आने का समय आ गया है, आर्यसमाज के नये विस्तार के लिए आगे आने का | एक ऋषि से आरम्भ यह समाज एक नयी करवट ले सके,ऐसा हम सब का प्रयास होना चाहिए | आपका प्रयास भी इसी दिशा में एक सराहनीय कदम नहीं है क्या ?
आनन्द
आनन्द
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i agree with the comments of
Submitted by harish kapoor on Sun, 2008-11-23 20:23.
i agree with the comments of Mr Bakshi
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I agree believer of arya
Submitted by Piyush Bharat on Wed, 2008-12-03 09:25.
I agree believer of arya samaj has been reducing day by day. But Arya Samaj is so great in itself that Arya Samaj can stand alone without any help.
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आर्य समाज हें , यह वो समाज हें जिसे शाश्वत और सदेव रहने वाले सनातन धर्म में कुछ खामियां नजर आई तथा आर्य समाज बनालिया गया .............
जवाब देंहटाएंइस समाज ने इसे नया रूप प्रदान किया उन कुरीतियों को अज्ञानता वश निकालने का दुसाहस किया जेसे सतीप्रथा आज तक लोग सती होना पत्नी का पतीके साथ चिता पर जल जाना ही मानते हैं |जब कि महाभारत कि कुंती पांडू के साथ सती नही हुई जो साबित करता हें कि यह प्रथा तबसे आज तक चली आरही है,रही बात सती होने क़ीउस विधवा से पूछो जो जीवत रह कर भी प्रति दिन सती हुआ करती है |जिस ने विवाह करवा लिया उससे भी बात करलो जिस का पुत्र मरा और यह उसकी विधवा हुई वह परिवार गालियाँ निकलकर खाना खाता होगा |अब जहां वह ब्याही गई डगर वहाँ भी आसन नही ,अपमानित तो वहां भी हुई |
इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ श्रेष्ठ समाज का धर्म नही होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता था जिसका तात्पर्य श्रेष्ठ जनों के निवास की भूमि था। अतः आर्य समाज को श्रेष्ठ जनों का समाज केसे कहा जासकता है | इसे धर्म परिवर्तित धर्म कहा जाना चाहिए जो सनातन धर्म हो ही नही सकता |