मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

गीता एक सचाई

फिर अवतार क्या है इसे भी समझ लीजिए ताकि पता चल सके कि आज मानव विभिन्न धर्मों में विभाजित क्यों हो चुके हैं हालांकि उनका पैदा करने वाला भी एक है। ज़ाहिर है कि जब ईश्वर एक तो धर्म अलग अलग क्यों कभी इस सम्बन्ध में सोचा ?
जी हाँ ! यह अवतार शब्द को न समझने का परिणाम है। अवतार की परिभाषा करते हुए डा0 श्री राम श्रमा कल्कि पुराण के 278 पृष्ठ पर लिखते हैं ( संसार की गिरी हुई स्थिति में उन्नति की ओर ले जाने वाला महामानव नेता) एक तुछ मानव होता हे एक महामानव इसी तरहा एक आत्मा होती है और दूसरी महानात्मा अर्थात महात्मा
ज्ञात यह हुआ कि हमारे समाज के वह गुरु महामानव थे,या महात्मा  जिन्हों ने मानव का मार्गदर्शन ईश्वरीय आदेशानुसार किया था और यही संदेश दिया था कि एक ईश्वर की पूजा करो तथा उसका भागीदार मत बनाओ। स्वयं वह भी एक ही ईश्वर की पूजा करते थे।परन्तु वह ईश्वर तो नही हुए  बाद में लोगों ने समझा कि वह ईश्वर के रूप में आए हैं इस लिए उनकी पूजा ईश्वर ही की पूजा है।परन्तु यह भी तो सत्य है की पूजा का विरोध करने वालों को प्रकृति जबरन अपने माता पिता और कुटुंब की पूजा अर्चना और सेवा में लगा लेती है , जिसके कारण अलग अलग देशों में लोगों ने अपने अपने गुरुओं को ही पूज्य मान लिया इस प्रकार विभिन्न धर्म वजूद में आ गए। आज भी धरती पर ईश्वर तक पहुंचाने वाला धर्म पाया जाता है। ज़रूरत है कि उसकी खोज की जाए। 

                    ऐसा धर्म वही सनातन धर्म जिसके नाश हो ने पर ईश्वर स्वयम अवतरित हो पुनः उसी पुरातन सनातन धर्म की स्थापना करते हैं 

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