शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

सनातन धर्म को समझना आसान नहीं

सनातन धर्म को समझना आसान नहीं

SANATAN-DHARM-IMAGEसनातन धर्म की गुत्थियों को देखते हुए कई बार इसे कठिन और समझने में मुश्किल धर्म समझा जाता है. हालांकि, सच्चाई तो ऐसी नहीं है, फिर भी इसके इतने आयाम, इतने पहलू हैं कि लोगबाग कई बार इसे लेकर भ्रमित हो जाते हैं. सबसे बड़ा कारण इसका यह कि सनातन धर्म किसी एक दार्शनिक, मनीषा या ऋषि के विचारों की उपज नहीं है. न ही यह किसी ख़ास समय पैदा हुआ. यह तो समय-समय पर पैदा हुए दार्शनिकों और मनीषाओं के विचारों का संग्रह है. इसका सतत विकास हुआ. समय की धारा के साथ ही यह भी प्रवहमान और विकसमान रहा. साथ ही यह किसी एक द्रष्टा, सिद्धांत या तर्क को भी वरीयता नहीं देता. कोई एक विचार सर्वश्रेष्ठ इसी वजह से कई सारे पूरक सिद्धांत भी बने. यही वजह है कि इसके खुलेपन की वजह से ही कई अलग नियम इस धर्म में हैं. यही विशेषता इसे अधिक ग्राह्य और सूक्ष्म बनाती है. इसका मतलब यह है कि अधिक सरल दिमाग वाले इसे समझने में भूल कर सकते हैं. अधिक सूक्ष्म होने के साथ ही सनातन धर्म को समझने के कई चरण और प्रक्रियाएं हैं, जो इस सूक्ष्म सिद्धांत से पैदा होती हैं. हालांकि इसका मतलब यह नहीं कि सरल-सहज मस्तिष्क वाले इसे समझ ही नहीं सकते. पूरी गहराई में जानने के लिए भले ही हमें गहन और गतिशील समझदारी विकसित पड़े, लेकिन सामान्य लोगों के लिए भी इसके सरल और सहज सिद्धांत हैं. सनातन धर्म कई बार भ्रमित करनेवाला लगता है और इसके कई कारण हैं. अगर बिना इसके गहन अध्ययन के आप इसका विश्लेषण करना चाहेंगे, तो कभी समझ नहीं पाएंगे. इसका कारण यह कि सनातन धर्म सीमित आयामों या पहलुओं वाला धर्म नहीं है. यह सचमुच ज्ञान का समुद्र है. इसे समझने के लिए इसमें गहरे उतरना ही होगा.
सनातन धर्म के विविध आयामों को नहीं जान पाने की वजह से ही कई लोगों को लगता है कि सनातन धर्म के विविध मार्गदर्शक ग्रंथों में विरोधाभास पाते हैं. इस विरोधाभास का जवाब इसी से दिया जा सकता है कि ऐसा केवल सनातन धर्म में नहीं. कई बार तो विज्ञान में भी ऐसी बात आती है. जैसे, विज्ञान हमें बताता है कि शून्य तापमान पर पानी बर्फ बन जाता है. वही विज्ञान हमें यह भी बताता है कि पानी शून्य डिग्री से भी कम तापमान पर भी कुछ खास स्थितियों में अपने मूल स्वरूप में रह सकता है. इसका जो जवाब है, वही सनातन धर्म के संदर्भ में भी है. जैसे, विज्ञान के लिए दोनों ही तथ्य सही है, भले ही कितूने विरोधाभासी हों, उसी तरह सनातन धर्म भी अपने खुलेपन की वजह से कई सारे विरोधी विचारों को ख़ुद में समेटे रहता है. हम पहले भी कह चुके हैं-एकं सत, विप्रा बहुधा वदंति-उसी तरह किसी एक सत्य के भी कई सारे पहलू हो सकते हैं. कुछ ग्रंथ यह कह सकते हैं कि ज्ञान ही परम तत्व तक पहुंचने का रास्ता है, कुछ ग्रंथ कह सकते हैं कि भक्ति ही उस परमात्मा तक पहुंचूने का रास्ता है. सनातन धर्म में हर उस सत्य या तथ्य को जगह मिली है, जिनमें तनिक भी मूल्य और महत्व हो. इससे भ्रमित होने की ज़रूरत नहीं है. आप उसी रास्ते को अपनाएं जो आपके लिए सही और सहज हो. याद रखें कि एक रास्ता अगर आपके लिए सही है, तो दूसरे रास्ते या तथ्य ग़लत हैं. साथ ही, सनातन धर्म खुद को किसी दीवार या बंधन में नहीं बांधता है. ज़रूरी नहीं कि आप जन्म से ही सनातनी हैं. सनातन धर्म का ज्ञान जिस तरह किसी बंधन में नहीं बंधा है, उसी तरह सनातन धर्म खुद को किसी देश, भाषा या नस्ल के बंधन में नहीं बांधता. सच पूछिए तो युगों से लोग सनातन धर्म को अपना रहे हैं.

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