सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

बहस में भाग लीजिए

क्या धर्म के नाम पर चल रहे व्यवसाय पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
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22-02-10 (03:17 PM)
gita
इन पाखंडी माता ,बाबा,धर्मगुरुओं के पीछे लगने या पूजने से भला ईश्वर को क्यों नही पूजते
25-01-10 (02:25 PM)
sapan yagyawalkya
धर्म के हित में है कि यह व्यावसायिकता से दूर रहे.
23-01-10 (09:54 AM)
Bijendra pal singh
धर्म की आद वाले व्यापार को वाधित करना चाहिये. नक़ी व्यापार को.
23-12-09 (07:11 AM)
Arun Agrawal
कभी नहीं, जो व्यक्ति धर्म को जानता है वह कभी भी प्रतिबंध की बात तो सोच ही नहीं सकता है क्योंकि की प्रत्येक व्यक्ति का अपना धर्म होता है किसी और के धर्म पर नजर रखना अधर्म होता है | जो व्यक्ति स्वधर्म (नियत कर्म) का पालन करता है वही धर्म को सही जानता है | हर व्यक्ति अपनी करनी का स्वयं जिम्मेदार होता है | जो भी धर्म के नाम पर चल रहे व्यवसाय पर पाबंदी की बात करेगा वह अधर्मी ही होगा इसलिये किसी अधर्मी को किसी के धर्म पर आपत्ति कराने का अधिकार नहीं है | प्रत्येक व्यक्ति का अपना धर्म होता है | हो सकता है आपकी नजर में जो अधर्म है वह किसी का धर्म हो सकता है और जिसे आप धर्म समझते है वह किसी के लिए अधर्म हो सकता है | हर व्यक्ति अपनी करनी का स्वयं जिम्मेदार होता है | अपना नियत कर्म जानकार कर्म करना ही धर्म होता है किसी और के कर्म में व्यवधान उत्पन्न करना अधर्म होता है |
21-12-09 (07:56 PM)
premnarayan ved
kon sa vyavsay ? dharam ke naam par desh ki kai sanshathaye aaj karodo ke khel ke dhandhe me shamil hai.or yeh sab hamare desh me khuleaam chal raha hai.or en ke dhandhe me aprataykash roop se hamare rajnithigh bhi shamil hai.to es tarah ke vyavasayay par kon prathibandh lagayega.(premnarayan ved, indore)
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