मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

यज्ञ से पापों का नाश होता है

 प्रभु प्राप्ति की राह दिखाती है प्रेम की शक्ति
विश्ववंद्य महाबाहु परशुरा
फरीदाबाद [जागरण संवाद केंद्र]। यज्ञ क्रिया आदिकाल से चली आ रही है। यज्ञ अनुष्ठान संसार हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाता है, तब उससे पापों का नाश होता है। यह वचन स्वामी सुमेधानंद ने सेक्टर-14 के मकान नंबर 1306 में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि देव लोक ही नहीं देवा शत्रु जन भी यज्ञ का सहारा लेकर उनसे शक्तिशाली कहलाए गए हैं। यज्ञ आहुति से वायुमंडल में ऊर्जा आती है। वातावरण शुद्ध रहता है। मन और शरीर में सात्विक विचारों का संचार होता है।
स्वामी सुमेधानंद ने कहा कि पांच प्रकार के पाप तो हम नित्य कर डालते हैं। इन पांचों के प्रकार के पापों को हम होते हुए भी नहीं देख पाते, लेकिन अनजाने में जो पाप हो चुके हैं, उनका प्रायश्चित किए बिना हमें उसका बही खाता और बढाते चले जाते हैं। इसीलिए प्रभु शरण में प्रभु भक्ति करके इन पापों से नित्य मुक्ति लेनी चाहिए।
इस मौके पर आयोजित यज्ञ आहुति में लोगों ने घृत और पंच सामग्री आहुति देकर शुद्धिकरण करके पूजा अर्चना की। श्री कृष्ण आराधना के साथ सुबह 11 बजे श्रीमद भागवत कथा का समापन हुआ।
 

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