बुधवार, 10 मार्च 2010

गीता के अस्तित्व को खतरा

गीता के अस्तित्व को खतरा
वर्ण संकर पर मंडराता खतरा


अर्जुन द्वारा कही बातों को भी समझ ने की जरूरत हे अर्जुन का प्रश्न था कि अपने कुटुंब को मार कर केसे सुखी रह सकते हे ?और ख़ुद ही विचार भी करते हें लोभ -भ्रष्टचित हुए ये लोग ये लोग कुल के नाश उत्पन दोष और मित्र से विरोध करने में पाप को नही देखते (यही अभी हो रहा हे )कुल के नाश से उत्पन दोष को जानने वाले हम लोगों को इस पाप से हट ने के लिए विचार क्यों नही कर न चाहिए ? आइये इसी पर पहले विचार किवा जाए ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा जाता हे ,वेदों के नेत्र का प्रयोग करने से पितृ दोष नजर में आता हे ,पत्र दोष में किसी ऐसे सम्बन्धी मित्र बन्धु-बांधव कि मृतु बाद प्राप्त जयेदाद जो उस के बाद हमे प्राप्त हो जाती हे भोगने से जो दोष आता हे ,इस दोष का उपचार जीव कि गति होने से ही होता हे जिस के लिए श्रद्धा पूर्वक श्राद्ध और तर्पण कि प्रचलित विद्धि हे दोह्स उत्पन होने पर परिवार कि वृधी रुक जाती हे (आज हम -दो ,हमारे दो पारिवारिक वृधी ख़ुद ही रुक रही हे ) भयंकर दोष तो भारत में आ ही चुका हे आगे अर्जुन ख़ुद ही इस का जवाब देते हे कुल के नाश से सनातन कुल-धर्म नष्ट हो जाते हे धर्म के नाश से सम्पूर्ण कुल में पाप भी बहुत बड जाते हें पाप बड़ने से कुल कि जनानियां दूषित हो जाती हें इन के खराब होने से परिवारों में (दोगले बचे पैदा होते हें )वर्ण -संकरता उत्पन हो ती हे वर्ण संकर कुल घातियों(इन गुरुओं-जो पति परमेश्वर के अधिकारों से पति को वंचित कर ख़ुद उस के अधिकारों को भोगता हे )और ऐसे कुल को नर्क में ले जाने के लिए काफी होता हे श्राद्ध-पिंड दान आदि से वंचित पितृ लोग अधोगति को प्राप्त हो जाते हे फिर वही पितृ तंग करते हें हम ढोंगी बाबाओं के चक्र में पड़अपना आप नाश कर लेते हें जिस-जिस का कुल धर्म नष्ट हो गया हे ऐसे मनुष्यों का अनिश्चित काळ तक नरकों में वास होता हे ऐसा हम सुना करते हें इस तरह के कटू सत्य को जान अर्जुन युद्घ के मैदान को हार कर त्यागने का मन बनाते हे वह भूल जाते हे कि जो भगवान के रथ पर रहते हें भगवान उन्ही कि मदद करते हें दुसरे अध्याये से भगवान अपना मुह खोल अर्जुन कि इस जिज्ञासा को शांत ही नही करते बलिक दर्शन भी देते हें (गीता)
प्रारम्भ करने से पहले अर्जुन कृष्ण को कह रहे थे ,नही कमाना राज्य ऐसा जिसमे सने खून से हाथ हों ,अपनों को मारू नही भाता ,क्यों नही अछा इससे पकड़ कटोरा भीख मांग लेता /नही करना युद्घ मुझ को इस से बेहतर रण में मरना होगा |गांडीव त्याग जब बेठ गया अर्जुन तब कृष्ण ने मुह खोला -----------------------हे अर्जुन तुझे असमय में ऐसा मोह क्यों हुआ ?क्यों की तो श्रेष्ट पुरुषों द्वारा ऐसा होना चाहिये इससे तेरी कीर्ति होगी मिले गा स्वर्ग इस लिए मनकी कमजोरी को त्याग और युद्घ के लिए तयार  हो|

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