गुरुवार, 18 मार्च 2010

तलाक की प्रथा














सनातन धर्म में तलाक की प्रथा को बुरा माना जाता है .सात फेरों के बाद के तलाक में पुनः विवाह करने की इजाजत भी नही हें
एक पत्नी के होते दूसरी पत्नी लाने का भी कोई नियम नही है.इसे घटिया किस्म का कर्ममाना जाता है .
सनातन विचार को यदि  देखा जावे तो सारी बात समझ में आ जाती है .जो सनातनी पुरुष पत्नी को त्यागता है वह पत्नी को धोखा देने का अपराधी बनता है .यदि वही पति दुबारा शादी कर लेता है तो उस पर व्यभिचारी  होने को आरोप लगता है .यदि उस की पत्नी दूसरी शादी कर लेती है ,तो यह आरोप आत़ा हें की यह पुरुष अपनी पत्नी से व्यभिचार करवाता है
तलाक की नोबत तब आती है जब पत्नी को उस के मायके का ताना सुनना पड़े ...........................
कुंडली का सही मिलान नाहो ..........................................................................................
सही महूर्त पर फेरे ना हुए हों ..............................................................................................
शादी को एक सात्विक यज्ञ  माना जाता है ,यदि इस यज्ञ में मदिरा और तामसी भोजन का प्रयोग हो तब भी यह दोष आत़ा है .
शादी में ली गयी शपथ को तोड़ने का भी यही दोष होता है.
शादी करवाने वाले ब्राह्मण से तकरार

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