शनिवार, 13 मार्च 2010

दो मित्रों की नोटंकी

ज्योतिष विद्या है कोई आध्यात्म नही संसार की हर विद्या को उस का पड़ा -लिखा विद्वान अपनी आयू के एक पडाव पर आ कर भूल जाता है ;परन्तु एक मात्र आध्यात्मिक विद्या ही ऐसी विद्या है जिस के द्वारा  प्राप्त ज्ञान कभी भी समाप्त नही होता है ,पहली कक्षा में पड़ा गया क,ख,ग,दसवी बी.ऐ ,.एम .ऐ पड़ा लिखा भी भूल जाता है ,आज के विज्ञान और टेक्नालोजी को टी.वी पर शर्मशार  होते दिखाया गया ,चंद पड़े -लिखे अन्पड ,इकठे हुए एक चेनल पर और बिना अपनी गिरेहबान में झांके उस सनातन ज्योतिस विद्या का मजाक बनाने लगे ,कार्य-क्रम कुछ इसी तरह आगे बड़ता है ,कुंडली का लाइव टेस्ट ,इस के लाइव टेस्ट को ज्योतिषी करते तो कुछ बात भी बनती उनको तो उन्ही की परीक्षा के लिए बुलाया गया था ,जो ज्योतिषी आये थे वह भी शायद चंद रुपयों की खातिर इस विद्या को बदनाम करने का ठेका कर के गये हुए थे ,यानी दो मित्रों की नोटंकी ,आधुनिक विज्ञान बनाम वह ज्योतिष विज्ञान जिसकी शोध पर सदियों से कोई कामही नही किया गया, मुर्ख विज्ञानी भयभीत हुआ खुद को इस ज्योतिष विद्या से सुचा सचा साबित करने पर तुला हुआ नजर आया ,और ग्रहों के ज्योतिषीय आधार को नकारता ही नजर आया .क्या आधुनिक विज्ञानिक विचार करगा ?
                1 टिटनस-टोकसाइड  के इंजेक्शन या रेबीज के इंजेक्शन एक विशेष टेम्प्रेचर पर रखे जाने चाहिए ,परन्तु निर्माता से बिक्रेता और फिर उप भोक्ता तक पहुचते पहुचते यह विज्ञान के नियमानुसार मृत्य हो जाता हें ,जिसको लगाना या लगवाना मुर्खता नही तो और क्या है?
                                         इस लिए प्रिये आधुनिक विज्ञानिक भाइयो जरा विचार तो करो जिस के ज्योतिषीय विज्ञान का आप कोई मजाक बनाते है क्या उसी का कोई प्रभाव तो नही जो आप के एक्सपायर इंजेक्शन को लगवाने के बाद भी मनुष्य जाती का कोई अनिष्ट करने के योग्य नही रहता
                2 मिलावट
                3 अशुद्धता
                क्या इन पर विचार की आपको आवश्यकता नही?

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