रविवार, 7 मार्च 2010

सनातन धर्म में आम और ख़ास गलतियाँ

सनातन धर्म में आम और ख़ास गलतियाँ 
जगत के गुरु ब्राह्मिण ब्राह्मिण का गुरु सन्यासी ,आजका सन्यासी होगया ग्रहस्थी वह अपने कर्मों को भूल गया ,ब्राह्मिण मुर्ख हो गया .जब जगत का गुरु मुर्ख हो गा तब तब धरती पर कष्ट बड़े गा ,इस बड़े कष्ट को सिवा भगवान के कोन हरे गा?मुदा है जन कल्याण का जो तब तक आगेनही बड़े गा जब तक अपने कल्याण की बात सोची जाती रहे गी.अपने बड़पन किहि सोच होगी .हर शिक्षक धर्म गुरु और ब्राह्मिण लालच को नही त्यागे गा .धर्मगुरु खुद को भगवान मानने की भूल में जीते  रहें गे .शास्त्रों की आज्ञा के भाव जबतक जन जन नही जाने गा तबतक एक शिक्षित समाज की कोरी कल्पना में ही जीना होगा .या डिग्री प्राप्त अन्पड-गवारों को ही शिक्षित समझा जाता रहे गा जिस का फल अशुभ-अति अशुभ ही होना है.उजैन के मन्दिर में एक जगत के गुरु ब्राह्मिण जी गोविंदा नामक ड्रामे बाज व्यक्ति की पत्नी से ज्योतिर्लिंग की सेवा करवा रहे हैं  .जबकि शस्त्र आज्ञा ही नही है की पत्नी के अतिरिक्त 

किसी दुसरे की पत्नी को लिंग की सेवा करने का अधिकार प्राप्त हो.परन्तु जगत गुरु स्वार्थी हो दक्षिणा के चक्र में ऐसा अशोभनीय पाप कर्म सुनीता से करवाते देखे जा सकते हैं ,मुदा तो होना चाहिये शास्त्र आज्ञा को जान्ने की ना, क़ि इस तरहा  का कर्म कर और करवा कर दुसरे लोगों को गुमराह करने और अपना पेट भरने की,शिक्षित समाज के लिए जरूरी होता जा रहा है शास्त्रों की  आज्ञा केभावों को तत्व से जान्ने का .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें